दिल्ली की शांत सुबह को 4 दिसंबर को एक दिल दहला देने वाली घटना ने हिला कर रख दिया। एक ही परिवार के तीन लोगों – पति, पत्नी और उनकी बेटी – की निर्मम हत्या की खबर ने सभी को झकझोर दिया। हैरानी की बात यह है कि महज कुछ ही घंटों में पुलिस ने इस मर्डर केस को सुलझा लिया।
पुलिस को सूचना देने वाला ही निकला कातिल
हत्या की सूचना पुलिस को देने वाला और कोई नहीं, बल्कि परिवार का 20 वर्षीय बेटा अर्जुन तंवर था। जांच में खुलासा हुआ कि उसने ही अपनी मां, पिता और बहन की हत्या की। जिस दिन परिवार की खुशियां मनाने का मौका था, उसी दिन अर्जुन ने यह खौफनाक कदम उठाया।
माता-पिता और बहन की बेरहमी से हत्या
अर्जुन को गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस ने पास के जंगल से उसके खून से सने कपड़े और हत्या में इस्तेमाल चाकू बरामद किए। अर्जुन के अपने माता-पिता से रिश्ते तनावपूर्ण थे, और उसे लगता था कि उसके माता-पिता उसकी बहन को उससे ज्यादा महत्व देते हैं।
हत्या की योजना और अमल: एक खौफनाक कहानी
अर्जुन ने पूछताछ में बताया कि उसने सबसे पहले अपनी बहन को सोते समय चाकू से गला रेतकर मारा। फिर वह ऊपर गया और अपने पिता पर हमला किया। अंत में वॉशरूम से निकल रही मां को भी मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद, उसने खून से सने कपड़े बदलकर जंगल में फेंक दिए।
झूठी कहानी से पुलिस को गुमराह करने की कोशिश
वारदात के बाद अर्जुन ने घर की सफाई की और खून के धब्बे मिटाने की कोशिश की। फिर उसने पुलिस को यह दिखाने की कोशिश की कि वह घटना के समय जिम में था। लेकिन उसके हाथों पर चाकू के निशान और बार-बार बदलते बयान से पुलिस को शक हो गया।
हत्या की वजह: रिश्तों में कड़वाहट और संपत्ति का लालच
अर्जुन ने बताया कि उसे लगता था कि उसके माता-पिता अपनी संपत्ति बहन के नाम कर देंगे। इसके अलावा, घर में उसे हमेशा डांटा जाता था और उसकी बहन को ज्यादा प्यार मिलता था। यह नाराजगी और गुस्सा उसे इतना भड़काया कि उसने पूरे परिवार को खत्म करने की साजिश रच डाली।
एक सुनियोजित हत्याकांड
अर्जुन ने बुधवार तड़के सुबह 5 बजे उठकर अपने परिवार के सदस्यों को अलग-अलग कमरों में मार डाला। उसने इस तरह से वारदात को अंजाम दिया कि किसी को भी एक-दूसरे की चीख तक सुनाई नहीं दी।
यह घटना रिश्तों में आई दरार और गुस्से के अंजाम का खौफनाक उदाहरण है। अर्जुन जैसे प्रशिक्षित मुक्केबाज और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र का यह कदम सभी के लिए एक सबक है कि मानसिक तनाव और परिवार के भीतर संवाद की कमी किस हद तक विनाशकारी हो सकती है।