इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) एक बार फिर भारतीय राजनीति में चर्चा का केंद्र बन गई है। महाराष्ट्र चुनाव नतीजों के बाद, विपक्षी दलों ने ईवीएम पर भरोसे की कमी का मुद्दा उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ईवीएम के बजाय पारंपरिक बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग करते हुए देशव्यापी अभियान की योजना बनाई है। महाविकास अघाड़ी ने भी ईवीएम के विरोध मे तैयारी शुरू कर दी हैं।
विश्व स्तर पर ईवीएम विवाद
भारत ही नहीं, दुनियाभर में ईवीएम को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं। कई देशों ने तकनीकी खामियों और छेड़छाड़ की आशंका के कारण ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया।
- नीदरलैंड: यह ईवीएम पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला देश था।
- जर्मनी: यहां इसे असंवैधानिक मानते हुए मतदान प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया।
- फ्रांस और इंग्लैंड: आज भी बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव कराते हैं।
- अमेरिका: तकनीक में अग्रणी देश होने के बावजूद अमेरिका के ज्यादातर चुनाव बैलेट पेपर पर आधारित हैं।
ईवीएम को लेकर विवाद के कारण
ईवीएम के खिलाफ सबसे बड़ा तर्क है इसकी सुरक्षा।
- हैकिंग और छेड़छाड़: ईवीएम के परिणामों में हेरफेर की संभावना को लेकर कई तकनीकी विशेषज्ञ सवाल उठाते रहे हैं।
- मतदाता का भरोसा: ईवीएम में यह सत्यापित करना मुश्किल है कि डाला गया वोट सही तरीके से गिना गया है या नहीं।
- तकनीकी खामियां: ईवीएम को लेकर समय-समय पर गड़बड़ियों की खबरें आती रही हैं।
भारत में ईवीएम का इतिहास
भारत में 2004 के आम चुनाव में ईवीएम का व्यापक इस्तेमाल शुरू हुआ। इससे पहले 90 के दशक तक बैलेट पेपर से चुनाव होते थे, लेकिन वोटों की गिनती में देरी के कारण ईवीएम को विकल्प के रूप में अपनाया गया। पहली बार 1998 में कुछ राज्यों में ईवीएम का ट्रायल हुआ और धीरे-धीरे इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया गया।
दुनिया का नजरिया
लगभग 30 देशों में ईवीएम का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें नामीबिया, भूटान, नेपाल और केन्या जैसे देश शामिल हैं। ये देश भारत निर्मित ईवीएम का उपयोग करते हैं। दूसरी ओर, सौ से अधिक देश आज भी बैलेट पेपर को प्राथमिकता देते हैं, इसे अधिक भरोसेमंद और पारदर्शी मानते हैं।
आगे की राह
भारत में ईवीएम का इस्तेमाल लोकतंत्र को तेज़ और सरल बनाने के उद्देश्य से किया गया था। लेकिन विपक्षी दलों और कई देशों के अनुभव यह सवाल उठाते हैं कि क्या तकनीक हर बार समाधान होती है, या पारंपरिक तरीकों की ओर लौटने में लोकतंत्र की स्थिरता है।