Homeदेशभारत में वक्फ का इतिहास और कानूनी विवाद: जानिए सभी जरूरी बातें

भारत में वक्फ का इतिहास और कानूनी विवाद: जानिए सभी जरूरी बातें

नई दिल्ली: हाल ही में तमिलनाडु के एक किसान की जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित किए जाने के बाद, देश में वक्फ कानून को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई। यह विवाद हमें 12वीं सदी में ले जाता है, जब मोहम्मद गौरी ने भारत में वक्फ की नींव रखी थी। वर्तमान में, वक्फ बोर्ड लाखों एकड़ भूमि का प्रबंधन कर रहा है, और केंद्र सरकार इस पर नियंत्रण के लिए नया कानून लाने की योजना बना रही है।

तमिलनाडु में वक्फ विवाद

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले के 70 वर्षीय किसान राजगोपाल अपनी बेटी की शादी के लिए 1.2 एकड़ जमीन बेचना चाहते थे। जब उन्होंने सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में दस्तावेज़ देखने गए, तो पता चला कि उनकी जमीन तमिलनाडु वक्फ बोर्ड की घोषित है। चौंकाने वाली बात यह रही कि सिर्फ उनकी जमीन ही नहीं, बल्कि उनके पूरे गांव तिरुचेन्थुरई को, जिसमें 1500 साल पुराना सुंदरेश्वरार मंदिर है, वक्फ संपत्ति बताया गया।

अन्य गांवों पर वक्फ का दावा

यह मामला अकेला नहीं है। आसपास के 18 अन्य गांवों को भी वक्फ संपत्ति बताया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में कुल 9.4 लाख एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड के अधीन है। यह भूमि लगभग 3,804 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। वक्फ संपत्ति की शुरुआत महज दो गांवों के दान से हुई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि वक्फ बोर्ड भारतीय रेलवे और भारतीय सेना के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा भूस्वामी है।

वक्फ का क्या मतलब है?

वक्फ इस्लामी परंपराओं पर आधारित एक स्थायी दान है। इसमें किसी संपत्ति को धार्मिक, परोपकारी, या सामुदायिक उद्देश्यों के लिए अलग कर दिया जाता है। एक बार वक्फ घोषित होने के बाद, संपत्ति का मालिकाना हक अल्लाह को माना जाता है। इसे बेचा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता।

वक्फ संशोधन विधेयक पर बहस

हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक पर जोरदार बहस हुई। इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी में सुधार लाना है। फिलहाल, यह प्रस्ताव संयुक्त संसदीय समिति के विचाराधीन है और इसे बजट सत्र 2025 में पेश किए जाने की संभावना है।

भारत में वक्फ का इतिहास

वक्फ की शुरुआत भारत में मोहम्मद गौरी के शासनकाल में हुई थी। 12वीं सदी में गौरी ने मुल्तान पर विजय प्राप्त करने के बाद वक्फ की नींव रखी। 1192 में तराइन की लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान को हराने के बाद, गौरी ने वक्फ के माध्यम से धार्मिक संपत्तियों का प्रबंधन शुरू किया। 1206 में गौरी की मृत्यु के बाद, गुलाम वंश ने इस प्रणाली को और व्यवस्थित किया।

वक्फ संपत्ति के उद्देश्य

मुल्तान की जामा मस्जिद को दो गांव दान करने वाले गौरी का उद्देश्य धार्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए संपत्तियां आवंटित करना था। यह परंपरा आगे चलकर मस्जिदों, मदरसों, दरगाहों, और सामुदायिक कल्याण संस्थानों के लिए समर्थन का आधार बनी।

दिल्ली सल्तनत और वक्फ का विस्तार

दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों ने वक्फ संपत्तियों को संगठित तरीके से बढ़ाया। इल्तुतमिश और मोहम्मद बिन तुगलक जैसे शासकों ने वक्फ को प्रोत्साहन दिया। वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन उस समय के प्रमुख अधिकारियों, जैसे दीवान-ए-रसालत, द्वारा किया जाता था।

वक्फ से मिलने वाली आय का उपयोग

वक्फ संपत्तियों से प्राप्त आय का उपयोग जलाशयों, सड़कों, मदरसों, और सरायों जैसे सामुदायिक कार्यों में किया जाता था। उदाहरण के लिए, शम्सी मस्जिद, जिसे इल्तुतमिश के शासनकाल में बनाया गया था, वक्फ की आय से बनी प्रमुख संरचना थी।

मुगलों के अधीन वक्फ का विस्तार

बाबर के शासनकाल में वक्फ प्रणाली को और अधिक मजबूती मिली। अकबर और शाहजहां जैसे मुगल सम्राटों ने वक्फ संपत्तियों को संरक्षित और प्रोत्साहित किया। शाहजहां के प्रसिद्ध ताजमहल का निर्माण भी वक्फ संपत्तियों की आय से संभव हुआ।

ब्रिटिश काल और वक्फ प्रणाली

ब्रिटिश शासन के दौरान 1923 में मुसलमान वक्फ अधिनियम ने वक्फ संपत्तियों को औपचारिक संरचना दी। स्वतंत्रता के बाद, 1954 के वक्फ अधिनियम और बाद में 1995 और 2013 में संशोधित कानूनों ने वक्फ बोर्ड की शक्तियों को और मजबूत किया।

21वीं सदी में वक्फ बोर्ड की स्थिति

आज, वक्फ बोर्ड भारत के सबसे बड़े भूस्वामी संस्थानों में से एक है, जो 8.7 लाख संपत्तियों और लगभग 9.4 लाख एकड़ भूमि का प्रबंधन करता है। लेकिन इन संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को लेकर अक्सर विवाद सामने आते रहते हैं।

सरकार का नया कदम

वर्तमान में, केंद्र सरकार वक्फ संशोधन विधेयक के माध्यम से वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने की कोशिश कर रही है। इस बहस के बीच, यह समझना महत्वपूर्ण है कि वक्फ की अवधारणा कैसे शुरू हुई और इसे लेकर आज तक सवाल क्यों उठते हैं।

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